बातें हवा में घुल कर कानों में पड़ी
हंसी जैसे होठों से छूटते ही धुन बानी
घास पर बिछी चादर पे लेटे
सूरज पेड़ों के पत्तों से छनकर
तुम्हारी आखों में दिखा,
और यूं खो गया मैं…
आस पास चारों ओर का शोर सुन्न हुआ
सुनाई दी तो बस तुम्हारी बातें
दिखी तो बस तुम्हारी आखें
मेहसूस किया चरपरी शीत दोपहर में
तो बस तुम्हारे कोमल सुखकर स्पर्श को,
और यूँ सो गया मैं….
🙂 🙂
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beautifully penned…
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