फिर वही गाना

आज मन कहने लगा कुछ गुनगुनाओ
तो फिर वोही गाना गुनगुना लिया |
तुम्हारी बातों ने फिर छेड दिए कुछ साज़
तो आज फिर दिल ने मुस्कुरा दिया |

 जब आज सूरज को ढलते देखा
तो फिर तुम्हारी याद आई
याद आई वो सारी शामें जिन्हें
तुम्हारे मासूम-से सवालों में डूबा दिया |

आज मन कहने लगा कुछ गुनगुनाओ
तो फिर वोही गाना गुनगुना लिया |

काले बादलों को देखकर मन उदास हुआ
तो मैंने आखें बंद कर ली
बंद आखों में जब तुम्हारा चेहरा आया
तो कुछ  बूंदों ने मेरे चेहरे को भिगा दिया |

आज मन कहने लगा कुछ गुनगुनाओ
तो फिर वोही गाना गुनगुना लिया |

सुबह की धूप जो तुम्हारे बालों से छन कर आती थी
जब सीधे आज आखों पर गिरी तो अच्छा न लगा
फिर तुम्हारे साथ  का एहसास हुआ
तो हँसते हुए नए दिन को गले लगा लिया |

आज मन कहने लगा कुछ गुनगुनाओ
तो फिर वोही गाना गुनगुना लिया |

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