ओ मेरे नेता
ओ मेरे नेता, क्यों तू पैसों को है पूजता? रिश्वतों के काले बाज़ार में क्यों न तेरा हाथ दूझता? इस देश की सेवा में, एक बापू ने जाँ निसार की मगर, अब अगर वो हँस रहे तो सिर्फ सौ-हज़ार के नोटों पर | जब विश्व के शीर्ष पर हो रही भारत की बुलंद पुकार है […]
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