वो कैंपस अब भी याद है।
याद है वो बी डोम से टी वन देकर निकलना
अच्छा गया हो या बुरा
भला आइस एंड स्पाइस ने थोड़ी था बिगाड़ा।
शामों को घूमना भी याद है….
कभी दोस्तों के साथ हँसते हसाते
तो कभी अकेले ज़ुआरी में झांकते
तो कभी बस शॉप-को तक टेहेल के आते।
बैठे बैठे सोच में डूब जाना भी याद है…
कभी सेंट्रल तो कभी लाइब्रेरी lawns के पास
कभी Mongi की पेस्ट्री या IC का समोसा लगे हाथ
Ice n Spice की उस कोल्ड कॉफ़ी में अलग ही बात है।
वो birthdays भी याद हैं..
जहां पिटे भी खूब और लगाए भी चार हाथ
पर सब निब्टाके , धूम मचाके
केक खाया तो यारों के साथ |
क्लासेज थोड़ी कम याद हैं
पर सन्डे मेस के सुबह के भठूरे भूले नहीं
जिनको खाने के लिए रात भर किया जागरण
देख डाले DC के सभी funny वीडियोस पर सोये नहीं।
अरे वो कमबख्त आखरी दिन भी याद है
जब ज़िन्दगी कुछ पलों के लिए ठहर सी गयी
जब हाथ उठा आखरी सलाम के लिए
और आँखें भी थोड़ी भर सी गयी।
वो कैंपस अभी भी याद है…