Lamhe…

लम्हे….
इस ज़िन्दगी से उभरते हुए …
इस ज़िन्दगी को उभारते हुए..लम्हे…
कुछ ऐसे जिन्हें मैं फिर से जीना चाहता हूँ…
कुछ ऐसे जिनके साथ हमेशा जीना चाहता हूँ …

लम्हे…
कुछ पहली मुलाकातों के…
कुछ खट्टी मीठी बातों के…

लम्हे…
जिन में दोस्तों की दोस्ती को स्वीकार किया ..,
जिन में सिर्फ चंद तस्वीरों के ज़रिये किसी से प्यार किया…

लम्हे…
कभी सुबह की ओस में खिलखिलाते फूलों जैसे…
तो कभी सर्दियों की सेज पर बिछे सूखे पत्तों की चादर जैसे…

लम्हे…
जो मन में याद बन कर रह गए…
जो दिल में धड़कन बन कर समा गए…

 

लम्हे…
जिनमे दिल की ये दुआ होठों से निकले और हम कहें…
ऐ खुदा ये लम्हे सदा यूँ ही, हमसे राह में मिलते रहे…

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